Friday, September 19, 2025

स्वच्छता पखवाड़ा + स्वच्छता दिवस






                                                                  
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स्वच्छता पखवाड़ा और स्वच्छता दिवस

स्वच्छता हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा है। स्वच्छ वातावरण हमें न केवल स्वस्थ रखता है, बल्कि समाज को भी सुंदर और सकारात्मक बनाता है। इसी उद्देश्य से भारत सरकार द्वारा स्वच्छता पखवाड़ा और स्वच्छता दिवस मनाए जाते हैं। इन अभियानों का मुख्य लक्ष्य लोगों में स्वच्छता के प्रति जागरूकता पैदा करना और इसे जीवन की आदत बनाना है।

स्वच्छता पखवाड़ा के दौरान विद्यालयों, कार्यालयों और सार्वजनिक स्थलों पर विशेष गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं। विद्यार्थी, शिक्षक और कर्मचारी मिलकर सफाई अभियान चलाते हैं। इस अवसर पर रैली, भाषण, चित्रकला और निबंध प्रतियोगिताएँ भी आयोजित होती हैं, जिनसे समाज में स्वच्छता का संदेश फैलता है।

इसी तरह स्वच्छता दिवस हमें महात्मा गांधी के उस सपने की याद दिलाता है जिसमें उन्होंने एक स्वच्छ भारत की कल्पना की थी। इस दिन विभिन्न स्थानों पर सफाई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। लोग झाड़ू लगाते हैं, कचरे को अलग-अलग करते हैं और प्लास्टिक का उपयोग कम करने का संकल्प लेते हैं।

दोनों अवसर हमें यह सिखाते हैं कि स्वच्छता केवल सरकार या किसी संस्था की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि हर नागरिक का कर्तव्य है। यदि हम सभी अपने घर, विद्यालय, कार्यस्थल और आसपास की जगह को स्वच्छ रखने का निश्चय करें तो पूरा देश स्वच्छ और स्वस्थ बन सकता है।

इस प्रकार स्वच्छता पखवाड़ा और स्वच्छता दिवस मिलकर हमें प्रेरित करते हैं कि हम साफ-सफाई को आदत बनाकर न केवल स्वयं स्वस्थ रहें, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी एक स्वच्छ और सुंदर भारत उपहार में दें।







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Monday, September 15, 2025

इंजीनियर्स डे (विश्वेश्वरैया दिवस) 15 SEPTEMBER



 


भारत में इंजीनियर्स डे हर साल 15 सितम्बर को मनाया जाता है। यह दिन महान अभियंता, योजनाकार और भारत रत्न से सम्मानित सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। उनका जन्म 15 सितम्बर 1861 को मैसूर (वर्तमान कर्नाटक) में हुआ था। वे एक प्रतिभाशाली इंजीनियर, दूरदर्शी प्रशासक और समाज सुधारक थे।

सर एम. विश्वेश्वरैया ने भारत के विकास और औद्योगिकीकरण में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने नदियों पर बाँध बनाने, जल-प्रबंधन, सिंचाई प्रणाली और आधुनिक तकनीक के विकास में अद्वितीय कार्य किए। खासकर मैसूर राज्य में उन्होंने कृष्णराज सागर बाँध (KRS Dam) का निर्माण कराया, जो आज भी उनके इंजीनियरिंग कौशल का उत्कृष्ट उदाहरण है। उनकी तकनीक और योजनाएँ न केवल भारत बल्कि विदेशों में भी प्रशंसा का विषय बनीं।

वे 1912 से 1918 तक मैसूर राज्य के दीवान (प्रधान मंत्री) भी रहे। इस दौरान उन्होंने शिक्षा, उद्योग और तकनीकी विकास के लिए कई नीतियाँ बनाई। उनके नेतृत्व में मैसूर ने एशिया की पहली स्टील फैक्ट्री और कई बड़े औद्योगिक प्रोजेक्ट शुरू किए।

उनके योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें 1955 में भारत रत्न से सम्मानित किया। सर विश्वेश्वरैया का जीवन अनुशासन, कड़ी मेहनत और राष्ट्र सेवा का प्रतीक है। उनकी कार्यशैली ने यह सिद्ध किया कि एक इंजीनियर केवल तकनीकी ज्ञान ही नहीं, बल्कि समाज और राष्ट्र के विकास का मजबूत आधार होता है।

इंजीनियर्स डे हमें यह याद दिलाता है कि तकनीक और नवाचार (Innovation) के बिना राष्ट्र प्रगति नहीं कर सकता। यह दिन सभी इंजीनियरों को अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों के प्रति प्रेरित करता है। आज के समय में जब विज्ञान और तकनीक तेजी से आगे बढ़ रहे हैं, तब सर विश्वेश्वरैया जैसे महान अभियंताओं की प्रेरणा से हमें समाज और देश के विकास में योगदान देना चाहिए।

इस प्रकार, 15 सितम्बर न केवल सर विश्वेश्वरैया की जयंती है, बल्कि यह दिन हर भारतीय अभियंता के लिए गर्व, प्रेरणा और सेवा भावना का प्रतीक भी है।


Saturday, September 13, 2025

"हिंदी दिवस – भाषा का गौरव"


                                                                  

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हिंदी दिवस का इतिहास

भारत की पहचान उसकी भाषाई और सांस्कृतिक विविधता से होती है। यहाँ सैकड़ों भाषाएँ और बोलियाँ बोली जाती हैं, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर एक ऐसी भाषा की आवश्यकता महसूस हुई जो पूरे देश को जोड़ सके। इसी संदर्भ में हिंदी को विशेष महत्व दिया गया।

14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा ने हिंदी को भारत संघ की राजभाषा घोषित किया। संविधान के अनुच्छेद 343 के अनुसार, “संघ की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी होगी।” हालाँकि अंग्रेज़ी को भी 15 वर्षों तक सहायक भाषा के रूप में बनाए रखने का निर्णय लिया गया। यह अवधि बाद में बढ़ाई जाती रही और आज भी अंग्रेज़ी प्रशासनिक कामकाज में प्रयुक्त होती है।

हिंदी दिवस मनाने के पीछे एक ऐतिहासिक कारण भी है। 14 सितम्बर को हिंदी के महान साहित्यकार और स्वतंत्रता सेनानी राजेंद्र सिंह का जन्मदिन पड़ता है, जिन्होंने हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलाने में अहम भूमिका निभाई। उनके योगदान को स्मरण करते हुए, 1953 से हर वर्ष 14 सितम्बर को हिंदी दिवस मनाया जाने लगा।

आज हिंदी केवल भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी लोकप्रिय हो रही है। प्रवासी भारतीय समुदाय ने हिंदी को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई है। फिल्मों, साहित्य, इंटरनेट और शिक्षा के माध्यम से हिंदी का दायरा निरंतर बढ़ रहा है।


हिंदी दिवस से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य

  1. भारत की राजभाषा हिंदी है, लेकिन राष्ट्रभाषा नहीं। संविधान में कहीं भी ‘राष्ट्रभाषा’ शब्द का उल्लेख नहीं है।

  2. हिंदी विश्व की तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है, जिसे 60 करोड़ से अधिक लोग बोलते हैं।

  3. भारत में 22 अनुसूचित भाषाएँ और लगभग 19,500 बोलियाँ हैं, जिनमें हिंदी का सबसे बड़ा प्रभाव है।

  4. संयुक्त राष्ट्र (UN) में हिंदी को आधिकारिक भाषा का दर्जा दिलाने के लिए भारत लंबे समय से प्रयासरत है।

  5. विदेशों में भी हिंदी दिवस मनाया जाता है, विशेषकर फिजी, मॉरीशस, गुयाना, सूरीनाम, नेपाल और त्रिनिदाद जैसे देशों में।

  6. हिंदी दिवस पर राष्ट्रपति द्वारा विभिन्न मंत्रालयों, विभागों और संस्थानों को राजभाषा पुरस्कार भी दिए जाते हैं।


निष्कर्ष:
हिंदी दिवस केवल एक औपचारिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ने और भाषा पर गर्व करने का अवसर है। इसका उद्देश्य हिंदी को नई पीढ़ी में लोकप्रिय बनाना और इसे वैश्विक मंच पर सशक्त करना है।



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Sunday, September 7, 2025

अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस


 



 

अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस की विस्तृत कहानी

दुनिया के इतिहास में लंबे समय तक शिक्षा केवल कुछ वर्गों तक सीमित रही। ग़रीब, महिलाएँ और पिछड़े वर्ग के लोग शिक्षा से वंचित रह जाते थे। परिणाम यह हुआ कि करोड़ों लोग पढ़ना-लिखना नहीं जानते थे। वे न तो अख़बार पढ़ सकते थे, न सरकारी नियम समझ सकते थे और न ही सही-गलत पहचान सकते थे।

द्वितीय विश्व युद्ध (1945) के बाद पूरी दुनिया को यह एहसास हुआ कि शिक्षा के बिना शांति, विकास और समानता असंभव है। इसी सोच से बना संगठन – यूनेस्को (UNESCO), यानी United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization

🌍 यूनेस्को का बड़ा निर्णय

1960 के दशक में जब यह पाया गया कि दुनिया की आधी से अधिक आबादी निरक्षर है, तब यूनेस्को ने एक ऐतिहासिक फैसला लिया।
1966 में यूनेस्को की 14वीं जनरल कॉन्फ्रेंस में यह तय हुआ कि हर साल 8 सितंबर को “अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस” मनाया जाएगा।

Friday, September 5, 2025

शिक्षक दिवस 2025



 

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शिक्षक दिवस: रोचक तथ्य और महत्व

शिक्षक दिवस हर वर्ष 5 सितंबर को पूरे भारत में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह दिन महान दार्शनिक, विद्वान, शिक्षक और भारत के दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के अवसर पर मनाया जाता है। उनका मानना था कि शिक्षक का समाज में सबसे बड़ा योगदान होता है, क्योंकि वही भविष्य की पीढ़ी को आकार देता है। जब उनके विद्यार्थियों और मित्रों ने उनसे उनका जन्मदिन मनाने की इच्छा जताई, तो उन्होंने विनम्रता से कहा –

ओणम की कहानी




 

🌸 ओणम की कहानी

बहुत समय पहले केरल की धरती पर एक महान राजा राज करते थे – महाबली। वे बहुत दयालु, न्यायप्रिय और प्रजा से प्रेम करने वाले शासक थे। उनके राज्य में कोई दुखी या गरीब नहीं था। लोग कहते थे कि महाबली के राज्य में स्वर्ण युग था।

लेकिन उनकी बढ़ती लोकप्रियता और शक्ति देखकर देवताओं को चिंता हुई। उन्हें लगा कि महाबली की प्रसिद्धि इतनी बढ़ रही है कि कहीं देवताओं की महिमा कम न हो जाए। तब भगवान विष्णु ने उनकी परीक्षा लेने का निश्चय किया और वामन अवतार लिया।

वामन एक छोटे से ब्राह्मण बालक के रूप में महाबली के दरबार में पहुँचे। उन्होंने राजा से कहा –
"महाराज, मुझे बस तीन पग भूमि दान में चाहिए।"

उदार राजा महाबली ने बिना सोचे तुरंत दान स्वीकार कर लिया। तभी वामन का रूप विशाल होता गया।

  • पहले पग में उन्होंने आकाश नाप लिया।

  • दूसरे पग में पूरी पृथ्वी

अब तीसरे पग के लिए कोई जगह नहीं बची। तब राजा महाबली ने नतमस्तक होकर कहा –
"भगवान, तीसरा पग आप मेरे सिर पर रख दीजिए।"

वामन ने उनके सिर पर पग रखा और महाबली को पाताल लोक भेज दिया। लेकिन भगवान विष्णु उनके त्याग और भक्ति से बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने महाबली को वरदान दिया कि –
"हे महाबली! साल में एक बार तुम अपनी प्रिय प्रजा से मिलने धरती पर आ सकोगे।"

तब से हर वर्ष केरल के लोग बड़े उत्साह और प्रेम से ओणम का त्योहार मनाते हैं। लोग घरों के आँगन में पुक्कलम (फूलों की रंगोली) बनाते हैं, नौका दौड़ करते हैं और ओणम साद्य भोज का आनंद लेते हैं।


👉 इस तरह ओणम हमें त्याग, भक्ति और सच्चे नेतृत्व की सीख देता है।




Thursday, September 4, 2025

ईद-ए-मिलाद

 





पैग़म्बर मोहम्मद साहब का जन्म और प्रारम्भिक जीवन

  1. जन्म तिथि और स्थान

    • हज़रत मोहम्मद साहब का जन्म 12 रबी-उल-अव्वल, 571 ईस्वी को मक्का (आज का सऊदी अरब) में हुआ।

    • इस वर्ष को "आम-उल-फील" यानी हाथियों का साल कहा जाता है। उस समय अब्रहा नामक शासक ने काबा को ढहाने के लिए हाथियों की सेना के साथ मक्का पर चढ़ाई की थी, लेकिन वह असफल रहा।

  2. परिवारिक पृष्ठभूमि

    • उनके पिता अब्दुल्लाह का निधन जन्म से पहले ही हो चुका था।

    • उनकी माता आमिना भी मोहम्मद साहब के मात्र 6 वर्ष की आयु में दुनिया से चल बसीं।

    • इसके बाद उनका पालन-पोषण पहले दादा अब्दुल मुत्तलिब और बाद में चाचा अबू तालिब ने किया।

  3. युवावस्था

    • मोहम्मद साहब बचपन से ही ईमानदार, सच्चे और नेक स्वभाव के थे।

    • व्यापार में उनकी ईमानदारी की वजह से लोग उन्हें "अल-अमीन" (विश्वसनीय) और "अस-स़ादिक़" (सच्चे) कहकर बुलाते थे।

    • बाद में उनका विवाह हज़रत ख़दीजा से हुआ, जो एक धनवान और सम्मानित महिला थीं।


पैग़म्बर मोहम्मद साहब का पैग़म्बरी जीवन

  1. वही (प्रकाशना) की शुरुआत

    • 40 वर्ष की आयु में, जब वे हिरा नामक गुफ़ा में ध्यान करते थे, तो उन्हें अल्लाह की ओर से पहला संदेश (वही) प्राप्त हुआ।

    • यह संदेश फ़रिश्ता जिब्रील (Gabriel) द्वारा लाया गया।

    • यही से इस्लाम धर्म की नींव पड़ी।

  2. मुख्य संदेश और शिक्षाएँ

    • अल्लाह एक है, केवल उसी की इबादत करनी चाहिए।

    • इंसानियत, भाईचारा, समानता और न्याय पर जोर दिया।

    • गरीबों, अनाथों और जरूरतमंदों की मदद को इबादत का हिस्सा बताया।

    • झूठ, अन्याय, लालच और अत्याचार का विरोध किया।

    • महिलाओं को सम्मान और अधिकार दिलाने पर बल दिया।

  3. कुरआन शरीफ़

    • पैग़म्बर मोहम्मद साहब पर 23 साल की अवधि में धीरे-धीरे अल्लाह का संदेश उतारा गया।

    • यही संदेश बाद में कुरआन शरीफ़ के रूप में संकलित हुआ, जो मुसलमानों की पवित्र किताब है।


ईद-ए-मिलाद क्यों और कैसे मनाई जाती है?

  1. महत्व

    • यह पर्व पैग़म्बर मोहम्मद साहब के जन्म और उनकी शिक्षाओं की याद में मनाया जाता है।

    • मुसलमान इस दिन को शुक्राने और मोहब्बत के रूप में मनाते हैं, क्योंकि पैग़म्बर साहब को अल्लाह ने "रहमत-उल-लिल-आलमीन" (सारी दुनिया के लिए रहमत/करुणा) कहा है।

  2. रीति-रिवाज

    • कुरआन की तिलावत और दुआएँ की जाती हैं।

    • "नात" (पैग़म्बर की प्रशंसा में कविताएँ) पढ़ी जाती हैं।

    • मस्जिदों और गलियों को रोशनी व सजावट से सजाया जाता है।

    • जुलूस और धार्मिक सभाएँ आयोजित होती हैं।

    • गरीबों और जरूरतमंदों को खाना, कपड़े और मदद दी जाती है।

  3. शिक्षा और संदेश

    • ईद-ए-मिलाद केवल जन्मोत्सव नहीं है, बल्कि यह दिन हमें मोहम्मद साहब के आदर्श जीवन को अपनाने और उनकी शिक्षाओं पर चलने का अवसर देता है।

    • यह पर्व हमें अमन (शांति), इंसाफ़ (न्याय), भाईचारा (भ्रातृत्व) और मोहब्बत (प्रेम) का संदेश देता है।


निष्कर्ष:
ईद-ए-मिलाद हमें याद दिलाती है कि पैग़म्बर मोहम्मद साहब केवल मुसलमानों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी मानवता के लिए करुणा और मार्गदर्शन लेकर आए थे। उनका जीवन सत्य, न्याय और करुणा की मिसाल है, और यही कारण है कि उनका जन्मदिन दुनियाभर में श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाया जाता है।



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