🌸 ओणम की कहानी
बहुत समय पहले केरल की धरती पर एक महान राजा राज करते थे – महाबली। वे बहुत दयालु, न्यायप्रिय और प्रजा से प्रेम करने वाले शासक थे। उनके राज्य में कोई दुखी या गरीब नहीं था। लोग कहते थे कि महाबली के राज्य में स्वर्ण युग था।
लेकिन उनकी बढ़ती लोकप्रियता और शक्ति देखकर देवताओं को चिंता हुई। उन्हें लगा कि महाबली की प्रसिद्धि इतनी बढ़ रही है कि कहीं देवताओं की महिमा कम न हो जाए। तब भगवान विष्णु ने उनकी परीक्षा लेने का निश्चय किया और वामन अवतार लिया।
वामन एक छोटे से ब्राह्मण बालक के रूप में महाबली के दरबार में पहुँचे। उन्होंने राजा से कहा –
"महाराज, मुझे बस तीन पग भूमि दान में चाहिए।"
उदार राजा महाबली ने बिना सोचे तुरंत दान स्वीकार कर लिया। तभी वामन का रूप विशाल होता गया।
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पहले पग में उन्होंने आकाश नाप लिया।
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दूसरे पग में पूरी पृथ्वी।
अब तीसरे पग के लिए कोई जगह नहीं बची। तब राजा महाबली ने नतमस्तक होकर कहा –
"भगवान, तीसरा पग आप मेरे सिर पर रख दीजिए।"
वामन ने उनके सिर पर पग रखा और महाबली को पाताल लोक भेज दिया। लेकिन भगवान विष्णु उनके त्याग और भक्ति से बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने महाबली को वरदान दिया कि –
"हे महाबली! साल में एक बार तुम अपनी प्रिय प्रजा से मिलने धरती पर आ सकोगे।"
तब से हर वर्ष केरल के लोग बड़े उत्साह और प्रेम से ओणम का त्योहार मनाते हैं। लोग घरों के आँगन में पुक्कलम (फूलों की रंगोली) बनाते हैं, नौका दौड़ करते हैं और ओणम साद्य भोज का आनंद लेते हैं।
👉 इस तरह ओणम हमें त्याग, भक्ति और सच्चे नेतृत्व की सीख देता है।
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